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Two Brothers : लालची दो भाई

1000 साल पहले एक राजमहल में महाप्रतापी राजा सुकदेव उनकी राज परिवार की साथ रहते थे | राजा सुकदेव का शादी नही हुआ था | राजा सुकदेव की राज परिवार में उनकी पिता माता और उनकी दोनो भाई की दोनो पत्नी और उनकी भाई की 4 बचे थे | सारे मिलझुल्कर रहते थे खुशी में | लेकिन राजा सुकदेव की पास सारी संपति था और वो सिर्फ वो संपति का रखवाला करते थे | लेकिन राजा सुकदेव तो खुद शादी नही किए है इसलिए उनकी कोई बेटे नही है जो सुकदेव को जाने की बाद सारे संपति का उत्तराधिकारी बन सके |

 

राजा सुकदेव उनकी सारे परिवार को अच्छे से रखते थे लेकिन परिवार की किसी भी सदस्यों की नाम पर कुछ भी संपति नही रखते थे | राजा सुकदेव के दोनो भाई का नाम जयदेव और कामदेव |

 

एक दिन कामदेव ने जयदेव को बोला भाई हम इतने बड़े राजमहल में रहते है अच्छे खाना भी खाते है लेकिन हमारे पास कुछ भी संपति नही है | जयदेव ने बोला ह भाई हमारे बचे भी बड़े होगए है लेकिन आज तक हमारे पास कुछ संपति नही है जो हम हमारे बचे की नाम पर कर सकते | कामदेव ने बोला हम सिर्फ इतनी बड़े राजमहल में रहते हैं लेकिन हमारे पास कुछ भी नहीं है हम गरीब से भी कम नहीं है | जयदेव ने बोला ह भाई सारे संपति और राजमहल सारे तो सुकदेव भाई का है वो तो हमको नहीं देगा कुछ | कामदेव ने बोला अभी हमको कुछ ऐसे करना होगा जो सुकदेव भाई का संपति है वो हमारे नाम हो सकता है | जयदेव ने कामदेव को बोला क्या करना है बोलो भाई | कामदेव ने बोला सुकदेव भाई को हम दोनो मार देते है उसकी मरने की बाद सारे संपति हमारा होजायेगा | जयदेव ने बोला सही कहा है भाई कामदेव |

 

कुछ दिन बाद ……….

पूर्णिमा रात है ,कामदेव और जयदेव छुप छुप कर जा रहे है सुकदेव को मारने केलिए | सुकदेव उसकी कमरे पर सोया था | कामदेव और जयदेव दोनो सुकदेव की मुंह पर तकिया दबा कर मार दिए | और वहां से छुप कर कामदेव और जयदेव चला गए उनकी कमरे पर |

 

सुभा हुआ सारे राजमहल में सभी को पता चला गया को राजा सुकदेव अब नही है दुनिया में | सुकदेव को परिवार में कामदेव और जयदेव को छोड़ कर सारे रोते थे | राजा सुकदेव का अंतिम संस्कार खतम हुआ | और राजा सुकदेव का पिता और माता परिवार की सारे सदस्य को बुलाए |

 

राजा सुकदेव की पिता ने बोले सुकदेव का कोई बचे नही है जो ये सारे संपति का मालिक बन सकता है और ये राजमहल का राजा | तब जयदेव ने बोला सारे परिवार की लोग की आगे ,सुकदेव भईया का कोई बेटा नही तो क्या हुआ हम है ना | कामदेव ने उठ कर बोला ह पिताश्री हम इतने सारे लोग तो है फिर आप इतने परीशान क्यों होते हो | तब उनके पिताश्री ने बोले नही में ऐसे कैसे किसीको संपति का उत्तराधिकारी बना दूं ,सुकदेव ने अच्छा राजा था बाहर लोग की जितना ख्याल रखता था वैसे घर का भी | सुकदेव की पिता की नाम थी भानुप्रताप |

 

भानुप्रताप की बात सुन कर कामदेव और जयदेव और ज्यादा गुस्सा करने बैठे | भानुप्रताप ने बोला राज्य चलाने केलिए अच्छा राजा चाहिए,हम घरवाले कैसे सिर्फ इसका फैसला ले सकते है ,इसका फैसला कल को राज्य की लोग करेंगे ,कोन राजा होगा इस राजमहल का और इस राज्य का | कुछ समय वाद जयदेव और कामदेव ने बात करने लगे | कामदेव ने जयदेव को बोला पिताश्री ऐसे हमको संपति तो दूर की बात राजमहल का सदस्य भी नही रखेंगे | जयदेव ने कामदेव को बोला कल राज्य की लोग की सामने ये बात होने से पहले हम दोनो पिताश्री को मार देते है | कामदेव ने बोला सही कहा है भाई तू |

 

वोही रात को फिर जयदेव और कामदेव छुप छुप कर जा कर सुकदेव को जैसे मारे थे वैसे उनकी पिताश्री को भी तकिया मुंह की ऊपर दबा कर मार दिए | और सुभा जयदेव ,कामदेव ने सभी को बोले की पिताश्री परीशान में थे सुकदेव भईया की जाने की बाद किसीको राजा बनाए, परीशान रह कर उनकी मत होगया है | सारे परिवार की साथ राज्य की लोग भी ये बात पर यकीन करे |

 

राजा सुकदेव भानुप्रताप का पहली पत्नी का एक बेटा है ,सुकदेव की मां कई साल पहले मर गए हैं | जयदेव और कामदेव भानुप्रताप का दूसरा पत्नी का बेटा है | जयदेव और कामदेव संपति और राजा होने केलिए सुकदेव और भानुप्रताप को मार दिए |

 

अभी भानुप्रताप की घर में सिर्फ कामदेव और जयदेव दोनो जो बोलते है वोही होता है | राज्य लोग भी क्या कर सकते है ,राजा सुकदेव की मृत्यु की बाद भानुप्रताप जो चलाए थे राज्य को वो भी चले गए | अब सारे राज्य अंधकार लग रहा है | जयदेव और कामदेव दोनो अब राज्य की राजा है सारे सुकदेव का समाप्ति भी जयदेव और कामदेव का है |

 

जयदेव और कामदेव की सासन से नाराज थे राज्य की लोग | धीरे धीरे सारे राज्य दिवालिया स्थिति में चला आया ,लेकिन जयदेव और कामदेव दोनो आनंद ले रहे थे ,इतने सारे संपति जो था |

 

राजा सुकदेव ने उनकी कमरे में एक गुप्त जगह रखे थे जहां वो एक नक्शा रखे थे ,वो नक्शा ऐसे तैसे नक्शा नही था ,वो नक्शा में एक जगह की बारे में बताया गया था ,जहा 5000 हीरा था | सुकदेव की कमरे में और क्या है ऐसे ढूंढते थे जयदेव और कामदेव तब उनकी नजर में पड़ा वो नक्शा |

 

वो नक्शा को देखकर जयदेव और कामदेव दोनो सोचने लगे ये क्या है तब वो नक्शा को पढ़ने की बाद पता चला की वो एक जगह है जहां 5000 हीरा छुपा है | ये पढ़कर दोनो भाई कामदेव और जयदेव खुशी होगए | दोनो भाई ये 5000 हीरा की बारे में किसीको नही बताए और छुप कर रात में चला गए वो जगह जहां नक्शा पर बताया गया है | सुकदेव की राजमहल से वो नक्शा में जो जगह दिया गया है वो दूरता होगा 500 km. |

 

2 दिन की बाद जयदेव और कामदेव दोनो भाई वो नक्शा को जगह पर पहुंच गए | दोनो भाई बहुत खुशी होगए और दोनो वो हीरा को ढूंढने लगे | हीरा ढूंढते ढूंढते वो दोनो भाई देखे की वो जो रस्ते पर आए थे वो गुम्पा की अंदर वो रस्ते बंद होगया है | जयदेव डर कर बोला भाई कामदेव ये रास्ता कैसे अचानक बंद होगया हम जायेंगे कैसे | कामदेव ने बोला डर मेरे भाई में हूं ना ,पहले हीरा ढूंढ हीरा को ले कर यहां से चला जायेंगे ,ये रास्ता खोल जायेगा | लेकिन जयदेव को डर लग रहा था |

 

बहुत समय की बाद भी हीरा कहां नही मिला | कामदेव ने बोला जयदेव को वो नक्शा देखा तो ,फिर यही तो वो जगह है जहां हीरा था नक्शा में लेकिन हीरा कहां गया | तब जयदेव ने कामदेव को वो नक्शा दिया ,कामदेव जब वो नक्शा देखा तो वो नक्शा में कुछ नही था | दोनो भाई आश्चर्य होगए नक्शा में कुछ नही है कहां गया नक्शा में जो दिया था सब | नक्शा में कुछ नही था ये देख कर जयदेव डर कर बोला भाई कामदेव में बोला था पहले ही आते ही समय मुझे अच्छा नही लगता है मेरी बात नही सुने अब देखो |

 

तब एक बहुत जोर से आवाज हुआ वो गुम्पा की अंदर से दोनो भाई ढूंढने लगे कोई है क्या लेकिन गुम्पा को अंदर कोई नही था | अचानक वो गुम्पा दोनो भाई जयदेव और कामदेव की ऊपर गिर गया | वहां दोनो भाई का मृत्यु होगया |

 

हमको यहां मालूम होगया की ज्यादा लालच अच्छा नही है |

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