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Mohabharat Poetry Hindi// महाभारत की कविता हिन्दी-Part 01

Mohabharat Poetry

Mohabharat Poetry:- नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम प्रणब और में इस वेबसाइट्स की क्रिएटर हूं । हर दिन की तरह आज में आपके लिए एक बेहतरीन Mohabharat Poetry लाया हूं । आज में Hindi Poetry महाभारत की ऊपर लाया हूं । Hindi Poetry में आप सब की प्यार देखकर में आज एक नया कविता लाया हूं । चलिए आज की Mohabharat Poetry को पढ़ते हैं ।

Mohabharat Poetry Hindi

द्वापर युग की महान कथा
वो है महाभारत की कथा
भाइयों की मध्ये संपति के लिए
लड़ा गया युद्ध की कथा
वो है महाभारत की कथा ।

Mohabharat Poetry

 

धूतराष्ट्र और गांधारी की १०० पुत्र कौरव थे
पांडू, कुंती और माद्री की ५ पुत्र पांडव थे
जहां पांडव की पक्ष्य धर्म का था
वहां कौरव की अधर्म पक्ष्य था ।

Mohabharat Poetry

 

कौरव की कारण पांडवो बनवास गए
पांडवो को मारने के लिए कौरव ने बहुत योजना बनाए
पांडवो की पास धर्म पक्ष्य था
धर्म के पास हमेशा परात्मा की आशीर्वाद रहता था
इसलिए पांडवो हर बार बच जाते थे ।

Mohabharat Poetry

 

द्रौपदी ने अपहास किया दूर्याधन की ऊपर
छल से जुआ की खेल में
दूर्याधन विजय लाभ किया पांडव पर ।

Mohabharat Poetry

 

सभी गुरुजन और पांडव की मध्ये
द्रौपदी को निबस्त्र करागया सभी के मध्ये
पिछले जन्म में द्रौपदी किया था वस्त्र की दान
इसलिए पुण्य परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा
लाज बचाया गया हुआ संपूर्ण ।

Mohabharat Poetry

 

यहां से आरंभ हुआ इतिहास का
सबसे बड़ा महायुद्ध
वो है महाभारत की युद्ध ।

Mohabharat Poetry

 

युद्ध नही चाहते थे भगवान श्रीकृष्ण
दोनो पक्षय को समझाने लग गए श्रीकृष्ण
युद्ध तलने का प्रयास किए थे श्रीकृष्ण
किंतु असफल रहे भगवान श्रीकृष्ण ।

Mohabharat Poetry

 

युद्ध हुआ श्रीकृष्ण की सेना कौरव ने ली
श्रीकृष्ण सारथी बनकर अर्जुन की
पांडव का पक्ष्य ले ली ।

Mohabharat Poetry

 

श्रीकृष्ण स्वयं हतियार नही
उठाने की प्रतिज्ञा रखी थी
युद्ध की समय अर्जुन की अंदर
अहिंसा भाव जाग्रत हुई थी ।

Mohabharat Poetry

 

यहां सब भाई और गुरुजन
कैसे उनके ऊपर हतियार उठाऊं
पाप नही करने का विचार हुआ अर्जुन की ।

Mohabharat Poetry

 

श्रीकृष्ण ने कहा युद्ध तो करना पड़ेगा
जो कृष्ण युद्ध नही चाहते थे
वो कृष्ण बोल रहे हैं युद्ध करना पड़ेगा ।

Mohabharat Poetry

 

यहां एक रहस्य छुपा है
गीता का ज्ञान कृष्ण ने नही
बल्कि उनके पिता ज्योति निरंजन ने दिया है ।

Mohabharat Poetry

 

जिसने अर्जुन को निम्मित बनाकर मारने
के लिए प्रेरित किया
तत्पश्चात अर्जुन ने युद्ध किया
अनेक हत्या, मार काट और रक्त संघर्ष हुआ ।

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पश्चात महाभात की युद्ध में
पांडव की विजय हुआ
यह है महाभारत की कथा
इतिहास की बड़ा महायुद्ध का कथा ।

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