Mohabharat Poetry:- नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम प्रणब और में इस वेबसाइट्स की क्रिएटर हूं । हर दिन की तरह आज में आपके लिए एक बेहतरीन Mohabharat Poetry लाया हूं । आज में Hindi Poetry महाभारत की ऊपर लाया हूं । Hindi Poetry में आप सब की प्यार देखकर में आज एक नया कविता लाया हूं । चलिए आज की Mohabharat Poetry को पढ़ते हैं ।
Mohabharat Poetry Hindi
द्वापर युग की महान कथा
वो है महाभारत की कथा
भाइयों की मध्ये संपति के लिए
लड़ा गया युद्ध की कथा
वो है महाभारत की कथा ।
धूतराष्ट्र और गांधारी की १०० पुत्र कौरव थे
पांडू, कुंती और माद्री की ५ पुत्र पांडव थे
जहां पांडव की पक्ष्य धर्म का था
वहां कौरव की अधर्म पक्ष्य था ।
कौरव की कारण पांडवो बनवास गए
पांडवो को मारने के लिए कौरव ने बहुत योजना बनाए
पांडवो की पास धर्म पक्ष्य था
धर्म के पास हमेशा परात्मा की आशीर्वाद रहता था
इसलिए पांडवो हर बार बच जाते थे ।
द्रौपदी ने अपहास किया दूर्याधन की ऊपर
छल से जुआ की खेल में
दूर्याधन विजय लाभ किया पांडव पर ।
सभी गुरुजन और पांडव की मध्ये
द्रौपदी को निबस्त्र करागया सभी के मध्ये
पिछले जन्म में द्रौपदी किया था वस्त्र की दान
इसलिए पुण्य परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा
लाज बचाया गया हुआ संपूर्ण ।
यहां से आरंभ हुआ इतिहास का
सबसे बड़ा महायुद्ध
वो है महाभारत की युद्ध ।
युद्ध नही चाहते थे भगवान श्रीकृष्ण
दोनो पक्षय को समझाने लग गए श्रीकृष्ण
युद्ध तलने का प्रयास किए थे श्रीकृष्ण
किंतु असफल रहे भगवान श्रीकृष्ण ।
युद्ध हुआ श्रीकृष्ण की सेना कौरव ने ली
श्रीकृष्ण सारथी बनकर अर्जुन की
पांडव का पक्ष्य ले ली ।
श्रीकृष्ण स्वयं हतियार नही
उठाने की प्रतिज्ञा रखी थी
युद्ध की समय अर्जुन की अंदर
अहिंसा भाव जाग्रत हुई थी ।
यहां सब भाई और गुरुजन
कैसे उनके ऊपर हतियार उठाऊं
पाप नही करने का विचार हुआ अर्जुन की ।
श्रीकृष्ण ने कहा युद्ध तो करना पड़ेगा
जो कृष्ण युद्ध नही चाहते थे
वो कृष्ण बोल रहे हैं युद्ध करना पड़ेगा ।
यहां एक रहस्य छुपा है
गीता का ज्ञान कृष्ण ने नही
बल्कि उनके पिता ज्योति निरंजन ने दिया है ।
जिसने अर्जुन को निम्मित बनाकर मारने
के लिए प्रेरित किया
तत्पश्चात अर्जुन ने युद्ध किया
अनेक हत्या, मार काट और रक्त संघर्ष हुआ ।
पश्चात महाभात की युद्ध में
पांडव की विजय हुआ
यह है महाभारत की कथा
इतिहास की बड़ा महायुद्ध का कथा ।
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