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संपति-A true story

भानुप्रताप जो एक गांव का प्रधान है ,वो गांव का नाम है साहिदनगर | गांव में क्या आस पास गांव में भी भानुप्रताप को सारे सम्मान करते थे | भानुप्रताप सारे लोग की दुख सुख में खड़ा होता था और लोग के लिए बहुत कुछ किया भी था | भानुप्रताप साहिदमगर का प्रधान जी तो थे लेकिन वो बहुत अमीर भी थे | भानुप्रताप जी का दादा जी जो थे उनका बहुत संपति था ,ऐसे कहने को जायेंगे तो भानुप्रताप एक राज परिवार से आते है | लेकिन उनका राजा परिवार नही था वो साधारण गांव की लोग की जैसा उनका भी परिवार था |

अभी भानुप्रताप सिर्फ है उनका दादा जी या उनका पिता जी कोई भी नहीं है | उनकी पिताजी का देहांत कुछ साल पहले होगया है और उनकी दादाजी का देहांत तो बहुत साल पहले होगया है | अभी साहिदनगर में भानुप्रताप उनकी पत्नी और 4 बचे के साथ रहते है | भानुप्रताप जी का माता भी नही है उनका भी कुछ साल पहले बीमारी से मृत्यु होगया है | भानुप्रताप सारे संपति का रखवाला करते है क्यों की उनका बचे अभी छोटे है |

भानुप्रताप जी का पत्नी का नाम राधा है | एक दिन भानुप्रताप जी का पत्नी राधा ने बोले भानुप्रताप को ,इतना संपति को अकेला रखवाला करते हो खुद बहुत ही परीशान में रहते हो बचे तो अभी छोटे है संपति वो रखवाला नहीं कर पाएंगे आपको एक बात बोलूं | भानुप्रताप ने बोले जी बोलो क्या बोलना चाहते हो | तब राधा भानुप्रताप जी का पत्नी ने बोले में ये सोच रहा हूं की मेरा भाई को यहां बुला कर हमारे संपति को रखवाला करने केलिए बोलेंगे तो कैसे होगा ,जब हमारे बचे बड़े होजाएंगे उसके बाद हमारे बचे संपति रखवाला करेंगे |

ये बात सुन कर भानुप्रताप जी ने राधा को बोले कोई दिकत तो नही है तुम्हारा भाई संपति रखवाला करने केलिए,लेकिन तुमको मालूम है ये मेरा दादाजी का संपति है में नही चाहता हूं उनकी संपति कभी डूब जाए | राधा ने बोला भानुप्रताप को आप क्या कहते हो मेरा भाई आपकी संपति को डूबा देगा | भानुप्रताप जी ने बोले ऐसे नही है लेकिन में बोला ऐसे होगा तो मुझे माफ नही करेंगे मेरी पिताजी ,दादाजी की संपति को पिताजी रखवाला करते थे अब में करता हूं |

 

राधा ने बोला भानुप्रताप को आपकी तबियत दिन बा दिन खराब होते जा रहा है आपको थोड़ा आराम चाहिए इसलिए बोला संपति मेरा भाई रखवाला करने केलिए क्यों को हमारे बचे अभी छोटे है | भानुप्रताप ने सोचा ये बात भी सही है मेरा भी कोई भाई नहीं है ,राधा को भाई को देता हूं संपति रखवाला करने केलिए |

 

भानुप्रताप राधा को बोले ठीक है तुम्हारा भाई को बुलाओ संपति रखवाला करने केलिए | राधा खुशी हो कर उसकी भाई को बुलाया साहिदनगर | और भानुप्रताप सारे संपति को राधा की भाई को रखवाला करने केलिए बोले | और अभी राधा की भाई अर्जुन सारे संपति का रखवाला करने लगा | धीरे धीरे भानुप्रताप का तबियत खराब होने लगा | भानुप्रताप को लग रहा था अभी में नही बच पाऊंगा | अर्जुन क्या कर रहा था ना भानुप्रताप को तबियत तो खराब है इसका फायदा ले कर अर्जुन ने भानुप्रताप से उसकी सारे जमीन की कागज पर भानुप्रताप से हस्ताक्षर ले रहा था |

 

भानुप्रताप का तबियत इतना खराब था की वो कोई भी कागज पढ़ नही पा रहा था ,अर्जुन जो कागज ला रहा था अर्जुन बोल रहा था ये खेती हुआ था फसल भेजा हूं तो हस्ताक्षर चाहिए | ऐसे करके अर्जुन ने भानुप्रताप की सारे जमीन को खुद को नाम पर कर दिया | बाद में अर्जुन ने वो जो बंगला में भानुप्रताप रहता था उसको भी खुद को नाम पर कर दिया | राधा को थोड़ा गड़बड़ लग वो अर्जुन को बोला सच तू क्या कर रहा है | अर्जुन ने बोला मुझे क्या तू उल्लू समझा है ,तेरे पति का संपति का रखवाला करूंगा और तुम्हारे बचे बड़े होंगे तो में तब चला जाऊंगा | अर्जुन ने बोला में सारे संपति को खुद को नाम पर कर दिया हूं |

 

ये बात सुन कर राधा की पैर से जैसा मिट्टी चला गया वैसे लगा राधा को | राधा ने अर्जुन को बोला तुझे यहां लाया था संपति रखवाला करने के लिए लेकिन तु खुद को नाम पर सब कर दिया | राधा ने रोया जोर से और अर्जुन को गाली दिया ,और राधा ने अर्जुन को बोला हमारे बचे छोटे है इसीलिए तुझे यहां बुलाया था संपति रखवाला करने केलिए लेकिन तू क्या करा | राधा रो कर बोला मेरा बचे का क्या होगा |

 

अर्जुन पैसा की आलस में पड़ गया था ,पहली बार इतनी पैसा है उसके पास और सारे जमीन घर इसलिए अर्जुन को उसकी बहन की अंशु भी उसको फरक नही पडा |

दिन बा दिन भानुप्रताप की तबियत और भी खराब होने लगा और राधा की पास पैसा नहीं था सिर्फ भानुप्रताप और राधा वो घर में रहते है नही तो उनकी पास कुछ नहीं है |

 

राधा ने अर्जुन को बोला मुझे कुछ पैसा दे तेरा जीजा जी को मेडिकल लेना है | अर्जुन ने साफ साफ मना कर दिया | राधा रो रो कर भानुप्रताप को सारे बात बोला ,भानुप्रताप तो अब कुछ बोल भी नहीं पता है सिर्फ बैठ कर रहता है | राधा ने भानुप्रताप को बोला मेरी गलती है मेरी वजह से आज वो अर्जुन सारे संपति लेगया |

 

ऐसे दिन बीत गया एक दिन भानुप्रताप का मृत्यु होगया ,अर्जुन ने राधा को बोला तू अब मेरे घर से चला जा तेरा कोई हक नही यहां रुकने केलिए तेरा पति तो मर गया | राधा ने अर्जुन को बोला में कहां जाऊंगा 4 बचे को ले कर | अर्जुन ने बोला मुझे वो बारे में पता नही है | अर्जुन संपति की अलाश में इतना नीचे चला गया था की उसकी बहन को भी घर से निकल दिया |

 

राधा रो रो कर 4 बचे को ले कर वो घर से चला गया | भानुप्रताप तो बहुत अच्छा आदमी था लोग को सहायता करता था और वो भी गांव की प्रधान था ,साहिदनगर की अल्वा आस पास गांव में भी भानुप्रताप को सारे लोग सम्मान करते थे |

 

गांव लोग ने देखे की प्रधान जी का पत्नी और बच्चे रस्ते में जा रहे है कुछ सामान ले कर और प्रधान जी का पत्नी रो रहा था | ये देखकर गांव की लोग प्रधान जी का पत्नी को उनकी घर बुला कर पूछे क्या बात है | राधा ने गांव वाले को सारे सच बात बोला | सारे सच सुने की बाद गांव की सारे लोग बोले प्रधान जी हमारे लिए इतने सारे किए हम उनकी पत्नी और बच्चे के लिए कुछ नहीं करेंगे |

 

तब गांव वाले तय करा की अर्जुन को गांव से निकलेंगे और प्रधान जी की सारे संपति घर उनकी बचे की नाम पर करेंगे | राधा और बचे को ले कर सारे गांव वाले पहँच गए प्रधान जी का बंगला में जहां अर्जुन था | अर्जुन इतने सारे गांव वाले को देख कर डर गया और अर्जुन ने देखा उसकी बहन और भानजा भी है गांव वाले की साथ |

 

गांव वाले ने अर्जुन को बोले सारे संपति और ये बंगला प्रधान जी का बचे की नाम अभी कर | अर्जुन ने बोला कैसे क्यों करूंगा आपकी धमक से क्या | गांव वाले ने बोले बचे की नाम करोगे या हम सारे गांव वाले तुझे गांव से निकल देंगे | अर्जुन ने बोला मेरे पास सारे सबूत है और तुम्हारे प्रधान जी का हस्ताक्षर है सारे कागज में |

 

गांव वाले एक वकील को साथ ले कर आए थे वो वकील ने अर्जुन को बोला थोड़ा सारे कागज लाए तो | अर्जुन जब कागज ला कर वकील को दिया वकील कागज देखकर हसने लगा | वकील ने अर्जुन को बोला तुम्हारा दिमाग नही है क्या थोड़ा कागज पढ़ा है या नहीं | गांव वाले सारे वकील को बोले क्या हुआ सर | वकील ने बोला ये सारे संपति प्रधान जी का नही है ,ये सारे जमीन उनकी बचे की नाम पर कब से प्रधान जी कर दिए है | ये बात सुन कर अर्जुन चकित होगया | वकील ने बोला जब तक प्रधान जी का 4 बचे हस्ताक्षर नहीं करेंगे तब तक उनकी संपति कोई नही ले पाएगा |

 

उसके बाद अर्जुन को गांव से निकल दिए गांव वाले और राधा और राधा की बचे उनकी बंगला में रहने लगे |

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