क्या था बचपन की दिन
खेल, कूद, में चला जाता था दिन ,
ना था Tension ना था Frustration
खुशी रहता था सभी का मन ,
दोस्त से लड़ाई होती है
घर आते ही पिटाई होती है ,
कभी नही मिलेगा बचपन की दिन
कितना प्यारा था स्कूल का दिन ,
ना था मोबाइल ना था लैपटॉप पास
मनोरंजन कर रहे थे Black And White TV के पास ,
बचपना तो चला गया
लेकिन यादें रहे गया ,
फिर कभी नही मिलेगा बचपन
युवा के समय पैसा है
लेकिन बचपन में बचपना है ,
खाना खाने केलिए मां ढूंढ रहा था
वो क्या बचपन था ,
हर चीज केलिए रोते थे
ये देख कर सभी हस्ते थे ,
किताब खोलने से नींद आता था
खेलने केलिए छुप कर जाना पड़ता था ,
रिश्तेदार घर जाते थे ड्रेस केलिए
रात में नींद नही आ रहा था
सुभा ड्रेस पहन कर सभी को दिखाने केलिए ,
जिंदगी में खुशी अनेक मिलेगी
लेकिन बचपन खुशी कभी नही मिलेगी ,
गर्मी में तलाब हमारा घर
मां आता था लाठी धर कर ,
महसूस तो कर लेंगे
सोच तो सोच लेंगे
लेकिन वो बचपन का दोस्त नही मिलेंगे ,
स्कूल से आने की बाद बैग कहां पड़ता था
वोही स्कूल ड्रेस से खेलने केलिए जाता था ,
Ice-cream खाने केलिए दारू की बॉटल ढूंढते थे ,
स्कूल के बाद टीचर को जहां देखते थे
वहां छुप जाते थे ,
सैलून जाते थे बाल काटने केलिए
Hrithik Roshan जैसा ,
नई बाल काट देता था Om Puri जैसा ,
नोट्स पर पेन नही चलता था
पैर ,हाथों पर पेन चलता था ,
बचपन का खुशी जिंदगी का अनोखी खुशी
बचपन की खुशी के आगे कुछ नही
जवानी का खुशी ,
Written by – Pranav
Amazing poetry… With real feelings…..