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Family Poetry : परिवार

घर मेरा मंदिर है ,
परिवार की प्यार कहां नही मिलती है ,
परिवार की गुरुजन मेरी भगवान है
उनका आशीर्वाद मेरे ऊपर है ,

खाने की समय पर सब साथ खाते हैं
यही तो असली परिवार है ,
दादा,दादीजी की बात सब मानते हैं
क्यों की वो घर का सबसे अनुभवी है ,

सब मिलकर TV देखते हैं
Remote केलिए सब लड़ते हैं ,
जहां जाते हैं
जो भी खिलोने देखते हैं
खिलोने देने केलिए
परिवार की लोग के पास रोते हैं  ,

चाचा हो या चाची
हमारी ख्याल रखते हैं ,
यही तो असली परिवार है ,
बचे का तबियत खराब होता है
परिवार में कोई खाना नही खाते हैं ,

खुशी हो या दुखी सब मिलकर रहते हैं
घर का काम सब मिलकर करते हैं ,
घूमने केलिए सब साथ जाते हैं
परिवार लोग के साथ घूमने में
कुछ अलग खुशी है ,

जो भी जहां रहते हैं
सब सबका हालत कैसा है पूछते हैं ,
यही तो असली परिवार है ,
जितना तारीफ करू उतना कम है ,
जितना भी तकलीफ आता है
परिवार में सब साथ होकर
मुकाबिला करते हैं ,

सभी के इच्छा से खाना नही होता है
जो खाना होता है
किसका शिकायत नहीं रहता है ,
सब सभी का सम्मान करते हैं
इसलिए इसको परिवार कहते हैं ,

इसको ज्यादा मिला ,उसको कम मिला
किसका शिकायत नहीं है
सब खुशी से मिलकर रहते हैं ,
जब सब साथ बैठ कर बातें करते हैं
सच में कितना सुकून मिलता है ,

स्वाद खाना अकेला कितना खाओगे
खुशी नही लगेगा ,
परिवार की लोग के साथ स्वाद खाना खाओगे
कितना खुशी मिलेगा ,

परिवार की हाथों कभी मत छोड़ना
परिवार है तुम्हारा असली जीवन की झरना ,
अच्छी बात गुरुजन के पास मिलेगा
परिवार से अलग रहोगे तो अच्छी बात कोन बोलेगा ,
यही तो असली परिवार है
जहां स्वार्थी नही ,त्याग लोग हैं ,

Written by-Pranav

1 thought on “Family Poetry : परिवार”

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