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Hindi Kahaniyan 04 : अहंकार मनुष्य का परम शत्रु  – Ahankar Manusya ka Param Shatru

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Hindi Kahaniyan : हेलो दोस्तों मेरा नाम प्रणब । में तो बढ़िया हूं, आशा करता हूं आप सब भी अच्छे होंगे । आप सभी को मेरे इस वेबसाइट पर स्वागत करता हूं । मुझे मालूम है आप सभी को Hindi Kahaniyan सुने की आदत है । आप सभी को Hindi Kahaniyan अच्छा लगता है इसलिए तो आपकी आदत हो गई हैं Hindi Kahaniyan सुने केलिए नही तो पढ़ने केलिए । आपको शुक्रिया अदा करता हूं की आप Hindi Kahaniyan पढ़ने केलिए मेरी इस वेबसाइट को चुना है । आप सभी केलिए में हर दिन कुछ ना कुछ Hindi Kahaniyan ले कर आऊंगी ये वादा किया था और में मेरी वादा भी निभा रहा हूं । आज आपकी मनोरंजन के लिए में ऐसे एक Hindi Kahaniyan लाया जिसको पढ़ने की बाद आपको बहुत मजा आयेगा और शिक्षा भी मिलेगा ।

आज मेरी इस Hindi Kahaniyan में कहानी का नाम रहेगा “अहंकार मनुष्य का परम शत्रु” । तो चलिए देर किस बात की आज की Hindi Kahaniyan पढ़ते हैं । मेरी इस Hindi Kahaniyan आपको अच्छा लगेगा तो शेयर करना मत भूलना ।

Hindi Kahaniyan : अहंकार मनुष्य का परम शत्रु

एक 35 साल की आदमी था जिसका नाम साम है । साम बहुत ही गरीब था । साम की घर में उसकी पत्नी के साथ उसका 2 बचे थे जो अभी छोटे हैं । घर को जैसे तैसे साम चला रहा था । कभी कभी साम और उसकी पत्नी दोनो एक वक्त बिना खाते ही सो जाते थे । साम की खुद की खेत नही था । साम दूसरे की खेत में काम करके जो पैसा लता था वो पैसा से उसकी घर चल रहा था । खेती के समय पर साम लोगों के खेत पर काम करके जो पैसा लता था उसी से उसकी घर चला रहा था । लेकिन खेती तो साल भर नही होता है, खेती के बाद साम क्या करेगा । खेती के काम खतम होने के बाद साम को कुछ काम नही मिल रहा था । साम बहुत चिंता में था और उसकी दिमाग में एक ही बात था की वो कैसे उसका घर चलाएगा ।

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एक दिन की बात है साम काम ढूंढने केलिए एक और गांव जा रहा था । तभी साम को एक मटका मिला । मटका को देख कर साम सोचा ये किसका मटका है और यहां क्यों पड़ा है । साम वो मटका की पास गया और वो मटका को खोलने लगा । मटका को खोलते खोलते वो मटका से एक आवाज आया । वो मटका से आवाज सुन कर साम डर गया और साम वो मटका बंद करने लगा ।

तभी वो मटका से आवाज आया की मटका बंद मत करिए । ये बात सुन कर साम अचानक शॉक्ड हो गया । वो मटका से आवाज आया की मटका बंद मत करिए, ये मटका से तुम्हारा भविष्य है । साम ये बात सुन कर वो मटका को बंद नही किया । साम वो मटका को पूछा मेरी भविष्य इसी मटका का में है ऐसे कैसे । तब वो मटका से आवाज आया की तुमको ये मटका अमीर बना देगा । ये बात सुन कर साम को यकीन नही हुआ । साम मटका को बोला झूठ है ये बात, मटका कैसे मुझे अमीर बना देगा ।

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तभी वो मटका से आवाज आया की तुम जो चाहते हो मांग कर देखो तुमको वोही मिलता है की नही । साम हस कर बोला ठीक है में कुछ मांगता हूं । तब साम वो मटका को मांगा मुझे 1000 मुद्रा चाहिए । तब अचानक मटका से साम को 1000 मुद्रा मिला । साम एकदम चकित हो गया मुद्रा को देख कर । साम बिस्वास भी नही कर पाया ये सब देख कर । तभी वो मटका से आवाज आया की, तुम इस मटका से जो मांगोगे वोही मिलेगा लेकिन एक शर्त है ।

साम खुस हो कर बोला क्या शर्त है । वो मटका से आवाज आया की इस मटका की बारे में किसी को भी मत बताना । साम वो मटका को बोला नहीं में इसकी बारे में किसीको नही बताऊंगा । तब मटका को बंद करके साम मटका को घर ले गया । घर पहुंच कर साम वो मटका को एक जगह छुपा लिया । साम को देख कर उसकी पत्नी बोला क्या आज कुछ काम मिला की नही । साम बोला नही आज कुछ काम तो नही मिला लेकिन आज से मुझे काम ढूंढना नही पड़ेगा ।

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ये बात सुन कर साम की पत्नी को आश्चर्य लगा । तभी साम की पत्नी ने बोला क्यों क्या हुआ गांव में काम मिल गया क्या । साम मुस्कुराते बोला ह ऐसे ही सोच लो । तभी साम मुस्कुराते वहां से चला गया । रात को साम वोही 1000 की मुद्रा से घर को कुछ सामान लाया सहर से । इतने सारे सामान को देख कर साम की पत्नी शॉक्ड हो गया और साम को बोला ये तुम इतने समान कहां से लाए । साम हस कर बोला तुम छोड़ो ये सब जल्दी ही खाना बना लो बहुत दिन हो गया है अच्छा खाना नही खाए हैं । साम की बात और साम की ब्याबहार उसकी पत्नी को अजीब लग रहा था । रात को सारे परिवार अच्छे खाना खा कर सो गए ।

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तब से साम की पत्नी जब साम को बोल रहा था घर को ये सामान चाहिए, साम देर नही करके वो वो समान ले आ रहा था । साम की पत्नी को साम की ऊपर संदेह हुआ । साम को एक दिन उसकी पत्नी ने बोला आपको एक बात पूछूं झूठ मत बोलना । साम बोला क्या बात है पूछो । साम की पत्नी ने बोला आप तो काम नही करने जा रहे हो फिर इतने पैसा कहां से ला रहे हो घर की सामान लाने के लिए ।

तब साम हस कर बोला वो एक बात है जो में बता नही सकता हूं । साम की पत्नी साम को बोला क्या तुम चोरी कर रहे हो । साम बोला नही नही चोरी फिर में ये तो कभी संभव नही है । साम की पत्नी बोला फिर क्या सच बताओ इतना पैसा कहां से ला रहे हो । कितने कोशिश करने की बाद भी साम उसकी पत्नी को सच बात नही बताया । साम को जब पैसा की जरूरत होता था तब वो मटका को खोल कर पैसा मांग लेता था ।

ऐसे ही धीरे धीरे साम एकदम कर्म करना छोड़ ही दिया । साम मेहनत क्या है भूल गया । साम को घर बैठ बैठ कर जो पैसा मिल रहा था । एक दिन साम सोचा में एक घर बना लेता हूं । घर बनाने केलिए वो मटका की पास जा कर मटका को खोल कर पहले से ज्यादा पैसा मांगा । और साम ज्यादा पैसा ला कर सहर गया घर बनाने की सामान के लिए । साम बनाने के लिए सारी समान ले आया । ये सब देख कर साम की पत्नी को बहुत चिंता हो रहा था । और कुछ दिनों में साम की घर भी बन गया था ।

जो साम इतना गरीब था, खाने के लिए तरस रहा था वो अचानक कुछ महीने में इतना अमीर कैसे हो गया । ये सब साम की पत्नी के साथ गांव बालों को भी संदेह हो रहा था साम की ऊपर । पैसा की अहंकार में साम गांव लोगों के साथ अजीब बर्तालाप कर रहा था । किसके साथ बात भी नही कर रहा था । पैसा की अहंकार में साम अंधा हो गया था । साम सभी को बोल रहा था में अमीर हूं । धीरे धीरे साम पैसा की अहंकार में उसकी अतीत को भूल गया था । अब वो एक अमीर व्यक्ति की जैसा रहे रहा है ।

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एक दिन साम की पत्नी को वो मटका मिला । वो मटका देख कर साम की पत्नी सोचा ये मटका कब आया हमारे घर ये तो नही था घर में । मटका को साम की पत्नी हाथों में पकड़ने लगा । तभी साम की पत्नी की हाथों से वो मटका नीचे गिर कर टूट गया । तब साम ने देखा वो मटका टूट गया है । साम ये देख कर उसकी पत्नी के ऊपर बहुत गुस्सा किया । साम को पत्नी ने बोला एक मटका के लिए तुम मेरे ऊपर इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो ।

तभी साम ने बोला ये मटका नही था ये हमारा धन था । साम की पत्नी बोला में कुछ समझा नहीं । साम बोला ये मटका एक जादू की मटका था और इसको जो भी मांगता था वो चीज मुझे मिल रहा था । साम की पत्नी बोला इस मटका से तुम इतना पैसा ला रहे थे । साम बोला ह ये मेरी जादू की धन था । साम की पत्नी ने बोला सही हुआ ये मटका टूट गया । ये बात सुन कर साम और भी गुस्सा हो गया । साम की पत्नी ने बोला इस मटका की वजह से तुम मेहनत छोड़ दिया है । साम बोला जब हमारे पास धन है तो मेहनत क्यों करूंगा । साम की पत्नी बोला जितना भी धन हो ना हो मनुष्य को मेहनत नही छोड़ना चाहिए ।

लेकिन ये सब बात साम को समझ नही आ रहा था । साम गुस्से से उसकी पत्नी को घर से निकल दिया । साम की पत्नी घर से जाने की बाद धीरे धीरे साम अतीत को वापस आ रहा था । उसके पास जितना भी पैसा था वो धीरे धीरे कहां से चला जाता था । अब साम की पास सिर्फ उसकी घर है । एक दिन साम की पास से वो घर भी चला गया ।

साम की पास अब कुछ नही है । साम उसकी गलती मान लिया । साम सोचा मेरी पत्नी सही बोल रहा था, धन की साथ मेहनत भी करना चाहिए ।

इसी कहानी में हमको ये सिक्षा मिला की मनुष्य को कभी भी मेहनत नही छोड़ना चाहिए और कभी भी अहंकार नही करना चाहिए । जिस चीज पर मनुष्य अहंकार करेगा उसी चीज उसको नीचे गिरा देगा ।

धन्यवाद ।।।।।

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