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लेखक हूं में : Writer Hindi Poetry

लिखने केलिए समय नही देखता
सोचने केलिए समय नही लगता ,
जो आस पास में देखता हूं
उसे भावना से सोचता हूं ,
में जिस पर लिखता हूं
वो विषय को जान मिल जाता है ,
इसलिए मुझे सब लेखक बुलाते हैं ।

ये कलम
जिसके लिए मेरा हुआ है जनम ,
ये कलम
सभी का जीवन में महत्पूर्ण भारी
बचपन से ये कलम
मुझे लग रहा था प्यारी ।

लेखक हूं खुद को गर्व करता हूं
जिसकी ऊपर लिखता हूं
उसको पहचान बना देती हूं ,
संसार में आए हैं तो जाना तो पड़ेगा
आज नही तो कल हम सब को मरना होगा ,
जाने के बाद कोई याद नहीं रखेगा
लेखक जो लिखा होगा
जाने के बाद भी वो लिपिबद्ध हो कर हमेशा रहेगा ।

लेखक की अच्छा बरता
दुनिया केलिए वो छोड़ कर जायेगा ,
प्राकृतिक दृश्य को
लेखक लिख कर उसको रंगीनी बना देता है ,
खोला रेगिस्तान की ऊपर लिख कर
उसको भी महत्पूर्ण कर देता है ,
इसलिए मुझे सब लेखक बुलाते हैं ।

लिखना एक कला है
लेखक होने केलिए पढ़ा लिखा जरूर नही है ,
लिखना खुद की भावना से आता है ,
जो लेखक हैं
ऐसे कोई विषय नही है वो लिख नही सकते हैं ,

लेखक ऐसे होते हैं
जिसको भी देखेंगे उसकी मन में क्या चल रहा है
लेखक उसकी मन को पढ़ लेंगे ,
ऐसे नही बोल रहा हूं
सारे लेखक बनेंगे ,
लिखने से दिमाग वाले जरूर बनेंगे ,
जितनी बार ऑनलाइन से पढ़िए
सारी जिंदगी याद नहीं रहेगा ,
एक बार अच्छे से किताब पढ़ने से
सारे उमर भूल नहीं पाएंगे ।

1 thought on “लेखक हूं में : Writer Hindi Poetry”

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